
आरांश के सर पर तो जैसे खून सवार था । वही हवा इतनी तेज चल रही थी कि सब की आंखों में धूल मिट्टी भी जा रहा था पर कोई भी अपने निशाने से चुकने को तैयार नहीं। वीरेंद्र के बार-बार वार्न करने पर भी आरांश नहीं माना और उसने गोली चला दी। वहीं गोली चलते ही राघव की दर्द भरी आवाज उस पूरी एरिया में गूंजी और ठीक उसी वक्त वीरेंद्र ने भी गुस्से से गोली चला दी। जिससे गाड़ी में रही आरजू और बाहर खड़े प्रशेश ने चिल्ला कर और अरांश का नाम पुकारा।
वहीं अभी कोई अपनी जगह से हिलता तभी एक और गोली चली.... और इस बार सभी शॉक्ड हो गए। अचानक से 10 सेकंड के लिए सब कुछ जैसे थम सा गया। और 10 सेकेंड बाद एक साथ आरांश, राघव और वीरेंद्र तीनों एक साथ धड़ाम से जमीन पर गिरे।




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