
ये सुनकर राघव के चेहरे एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई और उसने धीरे से कहा, "वेल डन।"
वही थोड़ी दूर पर ढेर सारे सोफे और कुर्सियों पर मेहमान बैठे हुए थे वही सबसे आगे मौजूद दो थोड़े ज्यादा स्पेशल सोफे लगे थे, जिस पर राघव की मॉम डैड वीरेंद्र और कीर्ति बैठे हुए थे।




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